भारत ने रणनीतिक रूप से बेहद अहम मलक्का जलडमरूमध्य में जहाजों की आवाजाही पर निगरानी बढ़ाने के लिए चार देशों से जानकारी साझा करने की मांग की है. इस जलडमरूमध्य से होकर दुनिया के बड़े हिस्से का व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति होती है. मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर और इंडोनेशिया यहां संयुक्त गश्त करते हैं.
भारत पिछले कई सालों से इसमें शामिल होने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब तक सहमति नहीं बनी है. इसलिए भारत ने कम से कम जानकारी साझा करने की व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव दिया है. भारत का तर्क है कि उसके अंडमान और निकोबार द्वीप मलक्का के बहुत करीब हैं और भारत की जिम्मेदारी है कि वह इस क्षेत्र से गुजरने वाले समुद्री रास्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.
भारत को मिला सिंगापुर का साथ
यह मुद्दा हाल ही में तब भी उठा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की. दोनों देशों की साझा घोषणा में कहा गया कि सिंगापुर ने मलक्का स्ट्रेट्स पेट्रोल में भारत की रुचि की सराहना की है. मतलब साफ है कि भारत को इस रूट पर सिंंगापुर का साथ मिल चुका है. अगर ऐसे ही बातचीत आगे बढ़ती रही तो ऐसा मुमकिन है कि भारत भी इस गश्त में हिस्सा ले सकेगा.
रूट को लेकर देशों के साथ बातचीत जारी
विदेश मंत्रालय ने भी साफ किया कि भारत और मौजूदा सदस्य देशों के बीच तालमेल को लेकर बातचीत जारी है और उम्मीद है कि कोई व्यवस्था बन पाएगी. गौरतलब है कि चीन इस क्षेत्र में ज्यादा निगरानी से असहज रहता है क्योंकि उसकी नौसेना के जहाज और पनडुब्बियां भी उसी रास्ते से गुजरते हैं.
भारत और इंडोनेशिया रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण मलक्का जलडमरूमध्य में मिलकर गश्त करने के बारे में काफी लंबे समय से विचार कर रहे हैं. यह क्षेत्र प्रशांत और हिंद महासागर को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण रूट है. मलक्का रूट मलेशिया और सिंगापुर को सुमात्रा से अलग करता है और बेहद ही व्यस्त रूट है.