दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुए निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद से डॉक्टर संजय निषाद सुर्खियों में हैं. डॉक्टर संजय निषाद ने टीवी 9 डिजिटल को दिए इंटरव्यू में ये कहा कि निषाद पार्टी को खत्म कराने के लिए दूसरे दलों से आए नेताओं को विपक्ष सुपारी दे रहा है. हर जिले में नकली निषाद नेता खड़े किए जा रहे हैं. ताकि निषाद पार्टी को खत्म किया जा सके. ऐसे विभीषणों को ईनाम भी मिल रहा है. यूपी के 250 सीटों पर निषाद नतीजे तय करते हैं. विपक्ष को हमसे समस्या तो होगी ही, लेकिन मैंने अब तय किया है कि पार्टी को मान्यवर कांशी राम और मुलायम सिंह जी के रास्ते पर लेकर चलूंगा.

उन्होंने आगे कहा कि जो निषाद पार्टी से खड़ा होगा वही असली निषाद होगा जैसा कि बसपा से लड़ने वाला ही असली दलित और सपा से लड़ने वाला ही असली यादव होता है. खाल और ताल से निकलकर निषाद समाज अब तालकटोरा तक पहुंच गया है और ये बात विपक्ष और विभीषणों को परेशान कर रही है. देश को आजाद कराने वाला निषाद समाज को लोग रे टे बोलते थे, निषदवा कहते थे, लेकिन अब जय निषाद राज कहना पड़ रहा है, ये डॉक्टर संजय निषाद की वजह से हुआ.

अंग्रेजों-मुगलों से भी ज्याद सपा, BSP ने निषाद समाज का खून चूसा
डॉक्टर संजय निषाद ने आगे कहा कि जिस निषाद समाज को अंग्रेज मार्शल कौम मानती थी और उस पर जुल्म करती थी. उनसे चार गुणा ज्यादा जुल्म निषाद समाज पर कांग्रेस और सपा-बसपा ने किया है. कांग्रेस से ज्यादा खून तो सपा-बसपा ने चूसा है. निषाद समाज को पव्वा पिलाकर झव्वा भर वोट ले लेते थे, लेकिन अब निषाद समाज पव्वा नही पावर चाहता है. अपने राजनीतिक भागीदारी चाहता है और SC रिजर्वेशन चाहता है. जिन लोगों ने निषाद समाज को धोखा दिया आज वो सब गर्त में हैं. यूपी में कांग्रेस और बसपा साफ हो गई और सपा हाफ हो गई जबकि निषादों ने बीजेपी को माफ कर दिया और उनकी सरकार बनवा दी.

“NDA में एक नेशनल कोऑर्डिनेटर होना चाहिए”
निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद ने कहा कि बाराबंकी की घटना एक उदाहरण है कि कैसे विपक्ष ने गलतफहमी पैदा कर के झगड़ा लगा दिया, वैमनस्य्ता पैदा कर दी. ओमप्रकाश राजभर जी के खिलाफ एक षड्यंत्र कर के एबीवीपी के खिलाफ करने की कोशिश हुई जबकि ओमप्रकाश जी और मैं हम दोनों विद्यार्थी परिषद को परिवार का मानते हैं. और ये मांग भी करते हैं कि बाराबंकी की घटना के लिए उच्च अधिकारियों और पुलिस वालों पर कार्रवाई हो, लेकिन इस घटना से जो माहौल बना ऐसे में ये जरूरी हो गया है कि NDA में एक नेशनल कोऑर्डिनेटर होना चाहिए ताकि ऐसे नाजुक मुद्दे सुलझाए जा सकें. विपक्ष तो झगड़ा लगाता ही रहेगा, लेकिन ऐसे रोगों को खत्म करने के लिए एक डायगोनोस्टिक सेंटर होना चाहिए. और वो डायगोनोस्टिक सेंटर एक नेशनल कोऑर्डिनेटर के रूप में ही संभव है ताकि आपसी झगड़े और मतभेद दूर किए जा सकें.

ओपी राजभर-संजय निषाद की जोड़ी से विपक्ष का पसीना छूटा
डॉक्टर संजय निषाद ने कहा कि तालकटोरा अधिवेशन के बाद से डॉक्टर संजय और ओमप्रकाश राजभर के बीच दो भाईयों वाला संबंध और मजबूत हो गया है और सियासत में हम दोनों भाई कई लोगों की आंख की किरकिरी बने हुए हैं. दोनों मार्शल कौम से हैं और ताल किनारे के रहने वाले हैं. हम घनघोर राष्ट्रवादी हैं और हम दोनों भाईयों को देख कर विपक्ष के पसीने छूटने लगते हैं. वो कहते हैं कि वो हमारा वैल्यू बढ़ाते हैं, उनसे मैं यही कहना चाहता हूं कि वो अपना देखें, उनके वैल्यू देने ये ना देने से हमें कोई फर्क नही पड़ता. हमारी वैल्यू जय निषादराज कहने से बढ़ती है.

By Roy

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